पंजाब में कट्टरपंथियों को मिले वोट ने बढ़ाई चिंता, सुरक्षा एजेंसियां सतर्क
Posted - Jun 6, 2024
पंजाब में कट्टरपंथियों को मिले वोट ने बढ़ाई चिंता, सुरक्षा एजेंसियां सतर्क
पंजाब के दो संसदीय क्षेत्रों में खालिस्तान समर्थकों की एकतरफा जीत और कई लोकसभा सीटों पर कट्टरपंथियों के बढ़े वोट शेयर ने चिंता बढ़ा दी है। दो संसदीय क्षेत्रों में अप्रत्याशित परिणाम और 11 सीटों पर कट्टरपंथियों के बढ़े वोट शेयर के मद्देनजर पाकिस्तान से सटे सूबे में केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। जानकारों के अनुसार इस जनादेश के कई संदेश हैं। कट्टरपंथी ताकतों को हवा देने वाले तत्वों की भी तलाश शुरू कर दी गई है। जेल से चुनाव लड़े खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह एवं इंदिरा गांधी के हत्यारे के बेटे सरबजीत सिंह खालसा की जीत के कई मायने निकाले जा रहे हैंखालिस्तान की मांग को लेकर 1980-1990 के दशक में पंजाब उग्रवाद के दर्दनाक दौर से गुजर चुका है। बेशक, अब खालिस्तान आंदोलन पूरी तरह दम तोड़ चुका है, लेकिन इसे दोबारा हवा देने की भी कोशिशें हो रही हैं। पंजाब की लगभग सभी लोकसभा सीटों पर खालिस्तान समर्थक सिमरनजीत सिंह मान की तरफ से जो उम्मीदवार खड़े किए गए थे, उनको कई लोकसभा क्षेत्रों में खासे वोट पड़े है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों के माथे पर बल डाल दिए हैं। पंजाब की 553 किलोमीटर सीमा पाकिस्तान से सटी हुई है। लिहाजा केंद्रीय खुफिया एजेंसियां पंजाब में कट्टरपंथी गतिविधियों पर विशेष नजर रख रहीं हैं।इससे पहले 1989 के लोकसभा चुनाव में सिमरनजीत मान सहित कट्टरपंथी विचारधारा वाले नौ कट्टरपंथी जीते थे। उनमें सरबजीत सिंह की माता बिमल कौर भी शामिल थी, जिन्हें रोपड़ से जीत हासिल हुई थी।