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Posted - Jun 4, 2024

NDA: पुरानों ने मझधार में फंसाया, नए साथियों ने उबारा; नीतीश-नायडू न जुड़ते तो बहुमत तक पहुंचना होता मुश्किल

अपने दम पर 370 का नारा देने वाली भाजपा को अपने पुराने सहयोगियों से उतना लाभ नहीं मिला जितना चुनाव से पहले एनडीए में शामिल हुए नए साथियों ने दिलाया। साथ ही पार्टी को कभी अपना गढ़ रहे राज्यों में इस बार तगड़ा झटका लगा। हालांकि कुछ राज्यों ने सत्ता में बने रहने की उसकी उम्मीदें जिंदा रखीं।लोकसभा चुनाव में पुराने साथी भाजपा के लिए घाटे का सौदा साबित हुए, वहीं नए साथियों ने लाज बचा ली। अगर चुनाव से ठीक पहले भाजपा को जदयू, लोजपा (आर) और तेलुगुदेशम पार्टी (टीडीपी) का साथ नहीं मिलता तो एनडीए के लिए बहुमत के जादुई आंकड़े को छूना सपना बन जाता। नतीजे बताते हैं कि भाजपा के पुराने साथी एनसीपी (अजित पवार) और शिवसेना (शिंदे), सुभासपा लाभप्रद साबित नहीं हुए।चुनाव से ठीक पहले भाजपा पांच दलों जदयू, टीडीपी, लोजपा (आर), जनसेना पार्टी और रालोद को एनडीए में शामिल करने में कामयाब रही। जनवरी में नीतीश कुमार ने तो मार्च में चंद्रबाबू नायडू, चिराग पासवान, पवन कल्याण और जयंत चौधरी के साथ गठबंधन पर सहमति बनी। चुनाव में जदयू को 12, लोजपा (आर) को पांच, टीडीपी को 16,  जनसेना को दो और रालोद को दो सीट मिली। इन दलों ने संयुक्त रूप से 37 सीटें जीती। यही वह आंकड़ा है, जिसकी बदौलत एनडीए बहुमत के जादुई आंकड़े को पार कर पाया।महाराष्ट्र में भी भाजपा को बड़ा झटका लगा है। बीते चुनाव में सहयोगियों के सहारे प्रदेश की 48 में से 43 सीटें जीतने वाले एनडीए का आंकड़ा इस बार 19 पर ही अटक गया। पार्टी के लिए शिवेसना (शिंदे) और एनसीपी (अजित) घाटे का सौदा साबित हुए। शिंदे शिवसेना (यूबीटी) में और अजित एनसीपी (शरद पवार) के वोट बैंक में निर्णायक सेंध नहीं लगा पाए। इन्हें क्रमश: पांच और एक सीट ही हासिल हुई। पिछली बार अकेले दम पर 23 सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा के खाते में मात्र 11 सीटें ही आई हैं। राज्य में इस चुनाव में भाजपा कांग्रेस के बाद दूसरे नंबर पर खिसक गई।