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Posted - Sep 28, 2024

Petrol Diesel: पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाने के लिए सहमति बनानी चाहिए केंद्रीय मंत्री ने बताई वजह

केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को पेट्रोल, डीजल को जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के तहत लाने के लिए आम सहमति बनाने की जरूरत बताई। पुणे इंटरनेशनल सेंटर (पीआईसी) के 14वें स्थापना दिवस पर आयोजित व्याख्यान में आने वाले दशक में भारत की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने के लिए रणनीति और उपाय विषय पर व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा, मैं लंबे समय से पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की बात कर रहा हूं। वित्त मंत्री ने भी कई मौकों पर ईंधन को जीएसटी के तहत लाने की बात कही है।भारत की विशाल आबादी को देखते हुए ऊर्जा सुरक्षा बेहद जरूरी है। भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने के लिए, भारत को रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारों पर ध्यान केंद्रित करने और आयातित ईंधन पर अपनी भारी निर्भरता को कम करने के लिए अन्वेषण और ईंधन उत्पादन पर फोकस करने की जरूरत है। पुरी ने कहा कि 140 करोड़ की आबादी के साथ भारत की ऊर्जा खपत वैश्विक औसत से तीन गुना अधिक है। इसकी वजह से वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में भारत एक प्रमुख खिलाड़ी है। उन्होंने कहा कि अगले दो दशकों में, दुनिया में ऊर्जा खपत में जो वृद्धि होगी, उसमें 25 प्रतिशत योगदान अकेले भारत करेगा।उन्होंने कहा, वर्तमान में ऐसी स्थिति में हैं कि भाजपा शासित राज्यों ने अपना वैट कम कर दिया है और गैर-भाजपा राज्य अतिरिक्त वैट को छोड़ने को भी तैयार नहीं हैं, इसलिए मुझे नहीं लगता कि ऐसा हो रहा है। उन्होंने ऊर्जा सुरक्षा के लिए तीन प्राथमिक चुनौतियों की पहचान की: उपलब्धता, सामर्थ्य और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में बदलाव। पुरी ने यह भी कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन भविष्य के ईंधन का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन इसकी सफलता स्थानीय मांग और उत्पादन पर निर्भर करती है, और तकनीकी प्रगति संबंधित लागत चुनौतियों को दूर करने में मदद कर सकती है। वैश्विक तेल बाजारों पर, उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर तेल की कोई कमी नहीं है, लेकिन बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव से तेल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है।