Posted Dec 7, 2024
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Posted Dec 6, 2024
Posted Dec 6, 2024
दुनिया का हर नागरिक व्यक्तिगत स्वतंत्रता और विकास के समान अवसर चाहता है। यही सब 1970 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान यानी आज के बांग्लादेश के नागरिक भी चाहते थे। यही सब अब पाकिस्तान में बलूचिस्तान के नागरिक चाहते हैं, क्योंकि पूर्वी पाकिस्तान की तरह ही आजादी के समय से ही इस प्रकार का व्यवहार वहां की सरकार बलूचिस्तान के नागरिकों के साथ भी कर रही है। आंतरिक तनावों के कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। पाकिस्तान में हाल में 11 देशों के राजनयिकों पर हुआ आतंकी हमला भी इसी का नतीजा है।पाकिस्तान के तानाशाहों ने वहां के बहुत से प्रदेशों के नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकारों का हनन करते हुए उन्हें विकास से दूर रखा। अब यह स्थिति पूर्वी पाकिस्तान की तरह ही बलूचिस्तान और सिंध में है। पूरे पाकिस्तान में सेना के समर्थन से वहां का पंजाबी समाज हर जगह छाया हुआ है। 1970 में शेख मुजीबुर्रहमान को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ था, परंतु पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह प्रधानमंत्री के रूप में केवल पश्चिमी पाकिस्तान के पंजाबी सूबे के किसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे, जिसके कारण शेख मुजीबुर्रहमान को प्रधानमंत्री पद नहीं दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप पूरे पूर्वी पाकिस्तान में अशांति और विद्रोह शुरू हो गया और बांग्लादेश का निर्माण हुआ। बांग्लादेश के निर्माण के बाद से ही बलूचिस्तान में भी स्वतंत्रता की मांग जोर से उठाई जाने लगी।947 में आजादी के समय ही बलूचिस्तान पाकिस्तान में जाने के बजाय स्वतंत्र राष्ट्र बने रहना चाहता था।