Posted Dec 7, 2024
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Posted Dec 7, 2024
Posted Dec 6, 2024
Posted Dec 6, 2024
भाजपा से दो जाट प्रत्याशी तो कांग्रेस से भी दो। भाजपा से एक यादव तो कांग्रेस से भी एक। भाजपा से वैश्य तो आम आदमी पार्टी से भी वैश्य...। हरियाणा के रण में जाति का ही जयघोष हो रहा। हालांकि पीएम मोदी की गारंटी और कांग्रेस की न्याय गारंटी के भी ढोल बज रहे हैं, पर टिकट देने से लेकर चुनावी बिसात बिछाने तक में जातीय समीकरण को ही जीत की गारंटी माना जा रहा। इसकी वजह भी है। दस लोकसभा सीटों वाला राज्य बोली और माटी के आधार पर सात बेल्ट में बंटा हुआ है। हर क्षेत्र के जातीय समीकरण अलग हैं और चुनावों में प्रभावी साबित होते रहे हैं।छठे चरण में 25 मई को होने वाले चुनाव में न किसी की हवा है और न लहर। इसलिए, हर सीट और हर बेल्ट के सांचे को देखकर जातीय समीकरण फिट किए जा रहे हैं। ऐसा पहली बार नहीं है। पिछले चुनावों में भी जाट और गैर जाट जातियों के आधार पर चुनावी ताना-बाना बुना जाता रहा है। भाजपा ने दो जाट, दो एससी, दो ब्राह्मण, एक यादव, एक वैश्य, एक पंजाबी और एक गुर्जर को टिकट दिया है।