Posted Dec 7, 2024
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Posted Dec 6, 2024
Posted Dec 6, 2024
लद्दाख में चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और अरुणाचल प्रदेश सीमा पर भारतीय सैनिकों के सामने चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की ओर से अब तिब्बती सैनिक खड़े नजर आ रहे हैं।रिपोर्ट के अनुसार, ऊंची सीमा पर भारतीय सैनिकों से लड़ने में चीनी सैनिकों को कई मुश्किलें आ रही थीं। भारत से 2020 में हुए संघर्ष में उसने भारतीय सैनिकों की आक्रामकता और पहाड़ों में लड़ने की क्षमता देखी थी। इसी वजह से चीन ने अपने कब्जे वाले तिब्बत के नागरिकों को सैनिक के रूप में भर्ती करना शुरू कर दिया था। सूत्रों के अनुसार, पहाड़ों में लंबे समय के लिए सैनिकों की तैनाती के लिए उसने तिब्बत के हर परिवार से कम से कम एक सदस्य को अपनी सेना में भर्ती करने की नीति बनाई है। चीन ने देखा कि भारतीय सेना की स्पेशल फ्रंटियर फोर्स के सैनिक उसके सैनिकों से कहीं ज्यादा बेहतर हैं। खासतौर पर तिब्बती सैनिक कैलाश रेंज में ऊंची चोटियों को कब्जा करने के दौरान उसके सैनिकों से ज्यादा अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैंचीन की नीति का विरोध
चीन ने अपने वरिष्ठ सैन्य अफसरों को तिब्बती सैनिकों की भर्ती के काम में लगाया। हर परिवार से कम से कम एक सदस्य इसलिए भर्ती किया जा रहा है, क्योंकि चीन को लगता है कि ऐसा करने से वह तिब्बती परिवारों को चीन के प्रति वफादार बनाने की कोशिश कर पाएगा।