Posted Dec 7, 2024
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Posted Dec 7, 2024
Posted Dec 6, 2024
Posted Dec 6, 2024
मैं आनंदित हूं। मेरे प्रभु श्रीराम अपने जन्मस्थान पर बने दिव्य धाम में आज विराजित हो जाएंगे, जहां उनकी सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों प्राण प्रतिष्ठा होगी। इसी के साथ इतिहास बन जाएंगे अयोध्या की श्रीराम जन्मभूमि से जुड़े पांच सदीं पुराने विवाद और संघर्ष। इस आनंद के क्षण में भी मेरा दिल बीच-बीच में उदास हो जाता है। इस अकल्पनीय क्षण का गवाह बनने के लिए कई वे चेहरे नहीं होंगे जिनके संघर्ष के कारण आज मेरे और आपके भाग्य में यह दिन आया है। होंगे तो वे भी नहीं जिन्होंने इस इतिहास को न बनने देने के लिए जमीन-आसमान एक किया। मेरी दोनों को श्रद्धांजलि। याद कीजिए कल्याण सिंह की जिन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी का मोह नहीं किया और ढांचा गिर जाने दिया। जेल चले गए। किंतु कारसेवकों पर गोली नहीं चलाने दी। कल्याण सिंह 5 अगस्त 2020 को गर्भगृह का शिलान्यास देखने के बाद स्थायी मंदिर में विराजित रामलला के दर्शन कर दुनिया से जाना चाहते थे पर ऐसा न हो सका। वे मुलायम सिंह भी शिलान्यास देखने के बाद आज का दिन देखने के लिए नहीं हैं जिन्होंने बाबरी ढांचा बचाने के लिए कारसेवकों पर गोली चलवाई। वहीं हाईकोर्ट के फैसले के बाद इस विवाद को सर्वोच्च न्यायालय तक ले जाने वाले मशहूर वकील और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के तत्कालीन संयोजक जफरयाब जीलानी को याद किए बिना मैं कैसे रह सकती हूं। जीलानी को भी सिर्फ शिलान्यास ही देखना नसीब हुआ। लकृष्ण आडवाणी डॉ. मुरली मनोहर जोशी उमा भारती और विनय कटियार के जिक्र बिना अयोध्या आंदोलन की कहानी पूरी नहीं होगी। साथ ही साध्वी ऋतंभरा राम विलास वेदांती आदि वे सौभाग्यशाली लोग हैं जो मंदिर मुक्ति आंदोलन में भाग लेने के बाद रामलला की प्राण प्रतिष्ठा देखेंगे।