Posted Dec 7, 2024
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Posted Dec 6, 2024
Posted Dec 6, 2024
भारतीय जनता पार्टी के साथ राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन की खबरों ने मथुरा की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि गठबंधन हुआ और मथुरा लोकसभा सीट रालोद के हिस्से में गई तो 2009 की तरह एक बार फिर जयंत चौधरी यहां से चुनाव लड़ सकते हैं। रालोद को न सिर्फ मथुरा बल्कि प्रदेश के अन्य जाट बहुल सीटों पर भी खोई जमीन वापस मिल जाएगी। इधर सपा खेमे में भी खलबली है। अब तक सपा-रालोद गठबंधन के तहत मथुरा की सीट रालोद के खाते में है। 19 लाख से अधिक मतदाताओं वाली इस सीट को साढ़े तीन लाख के करीब जाट मतदाता होने के कारण मिनी छपरौली भी कहा जाता है। 2009 में रालोद ने जयंत चौधरी को भाजपा के साथ गठबंधन में इसी सीट से लांच किया था। ब्रजवासियों ने उन्हें संसद में पहुंचाया लेकिन वह भाजपा की सरकार न बनने के कारण कांग्रेस के साथ चले गए थे। वर्ष 2014 में भाजपा ने मथुरा से हेमा मालिनी को लड़ाया। उनके सामने चुनाव लड़ रहे जयंत चौधरी को 330743 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2019 में रालोद ने कुंवर नरेंद्र सिंह को गठबंधन प्रत्याशी घोषित किया। यह पहला मौका था जब चौधरी परिवार ने जाट बहुल मथुरा संसदीय क्षेत्र से किसी गैर जाट पर दांव खेल। भाजपा से हेमा मालिनी ने उन्हें 293471 वोटों से हरा दिया।हेमा मालिनी का क्या होगाभाजपा-रालोद का गठबंधन हुआ और मथुरा लोकसभा सीट रालोद के खाते में गई तो वर्तमान सांसद हेमा मालिनी का क्या होगा इसे लेकर लोगों में चर्चा कि हेमा को चुनाव लड़ाया जाएगा या नहीं या उन्हें कोई अन्य जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।