Posted Dec 7, 2024
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Posted Dec 6, 2024
Posted Dec 6, 2024
गेहूं की फसल कट चुकी है। गंगा रूपी घग्गर के किनारे अब सियासत की जमीन सींची जा रही है। प्रत्याशी जनसभाओं और रोड शो के जरिए वादों और इरादों से मतदाताओं को लुभाने में लगे हैं। चुनावी शोर के बीच मतदाता भी मुद्दों पर मुखर होने लगे हैं। किसान आंदोलन की कसक किसानों की जुबां पर है। न्यूनतम समर्थन मूल्य का मुद्दा अब भी गरम है। टेंडर प्रक्रिया में विकास बाधित होने से सरपंच आहत हैं। कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा भी सुलग रहा है। यह स्थिति है पंजाब से सटे अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सिरसा संसदीय क्षेत्र की, जहां इंडिया गठबंधन से कांग्रेस की प्रत्याशी कुमारी सैलजा और भाजपा के उम्मीदवार अशोक तंवर के बीच सीधी लड़ाई है। सैलजा के सामने खोए हुए जनाधार को पाने का तो तंवर के समक्ष दोबारा कमल खिलाने की चुनौती है। सिरसा, फतेहाबाद और जींद जिले के नौ विधानसभा क्षेत्रों को समेटे इस लोकसभा क्षेत्र में हमने दो दिन में करीब 400 किलोमीटर सफर तय किया। चौपालों पर करीब 100 लोगों से बातचीत की। मतदाताओं के शुरुआती रुझान से ऐसा लगा कि भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला है। दोनों ही दलों के प्रत्याशी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं, ऐसे में इस मुकाबला दिलचस्प है। फिलहाल भाजपा चुनावी प्रचार से मतदाताओं तक पहुंच बनाने में सबसे आगे है। मीनू बेनीवाल के पार्टी में शामिल होने से ऐलनाबाद में भाजपा की ताकत बढ़ी है।