Posted Dec 7, 2024
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Posted Dec 6, 2024
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देश में गुटका पान मसाला जर्दा या खैनी जैसे धुआं रहित तंबाकू उत्पाद स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद हानिकारक और इनसे होने वाली बीमारियों का इलाज बहुत महंगा साबित हो रहा है। भारत के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च नोएडा मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली और सेंटर फॉर हेल्थ इनोवेशन एंड पॉलिसी (सीएचआईपी) फाउंडेशन से जुड़े शोधकर्ताओं के सहयोग से किए अध्ययन में यह बात सामने आई है। देश में गुटका, पान मसाला जर्दा या खैनी जैसे धुआं रहित तंबाकू उत्पाद स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद हानिकारक और इनसे होने वाली बीमारियों का इलाज बहुत महंगा साबित हो रहा है। भारत के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च नोएडा, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज नई दिल्ली और सेंटर फॉर हेल्थ इनोवेशन एंड पॉलिसी (सीएचआईपी) फाउंडेशन से जुड़े शोधकर्ताओं के सहयोग से किए अध्ययन में यह बात सामने आई है। शोधकर्ता प्रो. रवि मेहरोत्रा कहते हैं कि भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान की धुआं रहित तंबाकू से जुड़ी मौजूदा नीतियों में सकारात्मक बदलाव की आवश्यकता है ताकि उन युवाओं को इससे बचाया जा सके जो वर्तमान में इसका उपयोग नहीं कर रहे हैं। कानूनों का सख्ती से क्रियान्वयन समय की मांग है। ये बदलाव महिलाओं के बीच भी धुआं रहित तंबाकू के उपयोग और बढ़ते बोझ को कम करने में मदद करेंगे।
यदि इन देशों में लोग इसी तरह जर्दा, खैनी, गुटखा जैसे धुआं रहित तम्बाकू उत्पादों का उपयोग करते रहेंगें तो यह इन देशों में ज्यादा मौतों और बीमारियों का कारण बनेगा।